महाभारत युद्ध के बाद जब पांडव जीत गए और युधिष्ठिर राजा बन गए, तब युधिष्ठिर कुरुक्षेत्र में तीरों की शैय्या पर लेटे भीष्म पितामह से राजनीति की शिक्षा लेने पहुंचे। भीष्म ने युधिष्ठिर को जितनी भी बातें बताई वे आज भी हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। जब युधिष्ठिर में भीष्म से पूछा कि मनुष्य को किन बातों या किन आदतों से दूर रहना चाहिए तो भीष्म ने उन्हें 9 आदतों के बारे में बताया, जो इंसान के पतन का कारण बनती हैं। वह कौन सी आदतें है, जिनसे हर किसी को दूर रहना चाहिए, इसे लेकर भी भीष्म ने युधिष्ठिर को पूरा ज्ञान दिया।
ये हैं वह 9 आदतों जिनसे हमेशा दूर रहने की सलाह खुद पितामाह भीष्म ने दी है-
1. जुआ
जुआ मनुष्य की सबसे बुरी आदतों में से एक माना जाता है। जुआ खेलने वाला जब इसका आदी हो जाता है, तब वह जुए के आलावा और किसी चीज के बारे में नहीं सोच पाता। वह लालची का हो जाता है और कई बार वह कर्ज में भी डूब जाता है और अपने साथ परिवार की बर्बादी का कारण भी बनता है। जुए की आदत किसी भी मनुष्य को बरबाद कर सकती है, इससे बचना चाहिए।
2. शिकार
आखेट यानी शिकार करना या जीव हत्या करना। कई लोगों को शिकार करने का शौक होता है। शिकार करने को लंबे समय तक स्टेटस सिंबल माना गया है और जो लोग शिकार नहीं करते है वह भी अनजाने में कई बार निर्दोष जीवों की हत्या कर जाते हैं। जीव हत्या बहुत बड़ा पाप माना जाता है। ऐसा करने से मनुष्य को इसके बुरे परिणाम किसी न किसी रूप में झेलना ही पड़ते हैं, इसलिए मनुष्य को इस काम से दूर रहना चाहिए।
3. दिन में सोना
दिन में सोना आलस की निशानी होती है। आलसी मनुष्य घर के प्रति अपनी जिम्मेदारियां कभी पूरी नहीं कर सकता। दिन में सोने वाला आलसी के साथ-साथ कामचोर भी बनता जाता है। ऐसे मनुष्य को हर काम को टालने की आदत लग जाती है। साथ ही देर तक सोना कई बीमारियों का भी कारण बन सकता हैं। इसलिए, दिन में सोने की आदत से बचना चाहिए।
4. दूसरों की निंदा
निंदा करना मतलब दूसरों के कामों में दोष ढूंढ़ना। दूसरों की बुराई करना कई लोगों की आदत बन चुकी है। हर मनुष्य दूसरे में कोई न कोई दोष ढूंढ़ता ही रहता है। दूसरों की निंदा करने से दूसरों का नहीं बल्कि खुद का ही नुकसान होता है। निंदा से ही मनुष्य की बर्बादी की शुरुआत होती है। ऐसे व्यक्ति अन्य लोगों के सामने किसी को बुरा साबित करने के लिए चोरी, हिंसा जैसे काम करने में भी नहीं कतराते। इस आदत को तुरंत ही छोड़ देना चाहिए।
5. स्त्रियों में आसक्ति
आसक्ति यानी लगाव। जिस मनुष्य को स्त्रियों से आसक्ति होती है, वह हर समय उनके आगे-पीछे घूमता रहता है। ऐसा मनुष्य किसी भी समय स्त्री के साथ बुरा व्यवहार कर जाता है। ऐसे व्यक्ति के मन में बुरी भावनाएं उत्पन्न होती रहती हैं। वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद कर जा सकता है और कई बार तो अपराधी तक बन जाता है। इन सबसे बचने के लिए हर मनुष्य को इस आदत से दूर ही रहना चाहिए।
6. शराब पीना
हर व्यक्ति की कुछ सीमाएं होती हैं। सभी को उन सीमाओं का हमेशा पालन करना चाहिए, लेकिन शराब पीने वाले मनुष्य के लिए कोई सीमा नहीं होती। शराब पीने के बाद उसे अच्छे-बुरे किसी का भी होश नहीं रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और मित्रों को कष्ट पहुंचाने वाला होता है। शराब पीने वाला व्यक्ति अपने साथ-साथ अपने परिवार और दोस्तों के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है। शराब की आदत से कई बार मनुष्य अपना सब कुछ खो बैठता है, इसलिए इस आदत से हमेशा दूर ही रहना चाहिए।
7. नाचना- गाना
नाचना-गाना खुशी व्यक्त करने का एक तरीका होता है। इसके अलावा यह कई लोगों का शौक भी होता है, लेकिन शौक कब आदत बन जाए, पता नहीं चलता। जिस मनुष्य को नाचने-गाने की आदत लग जाती है, वह हर समय यहीं काम करता रहता है। ऐसे मनुष्य का मन अपने कामों और जिम्मेदारियों से हट कर इसी ओर केन्द्रित हो जाता है। जिसकी वजह से उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस आदत को छोड़ देने में ही समझदारी होती है।
8. बाजा-बजाना
वाद्य-यंत्र बजाना कई लोगों शौक होता है। एक हद तक तो यह प्रतिभा सभी को अच्छी लगती है, लेकिन हद पार हो जाने पर यहीं आदत परेशानी का कारण बन जाती है। जिन बच्चों को वाद्य-यंत्र बजाने की आदत होती है, वह अपना पूरे समय इसी काम में निकाल देते हैं। ऐसे बच्चों का ध्यान पढ़ाई-लिखाई से हट कर पूरी तरह से इसी ओर चला जाता है। इसलिए इस आदत से बचना चाहिए।
9. व्यर्थ घूमना
कई लोगों को बिना मतलब के घूमने की आदत होती है। जिसकी वजह से वे हर समय कहीं न कहीं भटकते ही रहते हैं। ऐसे लोग अपनी आदत की वजह से बिना बुलाए भी कई जगहों पर पहुंच जाते हैं, जिसकी वजह से कई बार उन्हें शर्मिंदा भी होना पड़ जाता है। जो मनुष्य व्यर्थ घूमने में अपना समय बरबाद कर देते हैं, वे अपनी जिम्मेदारियां कभी पूरी नहीं कर पाते। इस आदत से दूर रहना चाहिए।
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